ईश्वर तक कई अलग-अलग स्तरों पर पहुंचा और समझा जा सकता है। जो उन्हें पूरी तरह से समझते हैं, वे उनके शुद्ध भक्त हैं। और जो लोग उनको वे केवल आंशिक रूप से समझते हैं वे कई अलग-अलग प्रकार की श्रेणियों में आते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उन्होंने इनको कितने ठीक से समझा है।
इस सप्ताह के लिए कार्य
भगवद-गीता यथा रूप अध्याय 9, श्लोक 15 को ध्यान से पढ़ें और इस प्रश्न का उत्तर दें:
स्वयं को ईश्वर मानने की अद्वैतवादी धारणा से क्या लाभ, यदि कोई हो, प्राप्त किया जा सकता है?
अपना उत्तर ईमेल करें: hindi.sda@gmail.com
(कृपया पाठ संख्या, मूल प्रश्न और भगवद गीता अध्याय और श्लोक संख्या को अपने उत्तर के साथ अवश्य शामिल करें)