पाठ 240: महात्मा या दुरात्मा?

इस भौतिक संसार में दो प्रकार के लोग हैं, महात्मा और दुरात्मा। महात्मा महान आत्माएं हैं और दुरात्मा मंद-बुद्धि आत्माएं हैं। दुर्भाग्य से वर्तमान समय में 99.99% मानव आबादी दुरात्मा श्रेणी में है। लेकिन यह इसी तरह से हो ऐसा जरूरी नहीं है। इसलिए कृष्ण भावनामृत आंदोलन का लक्ष्य सभी दुरात्माओं को महात्माओं में बदलना है।

इस सप्ताह के लिए कार्य

भगवद-गीता यथा रूप अध्याय 9, श्लोक 14 को ध्यान से पढ़ें और इस प्रश्न का उत्तर दें:

क्या ईश्वर के शुद्ध प्रेम को प्राप्त करने से पहले किसी को महात्मा माना जा सकता है? अगर ऐसा है तो कोई ऐसा कैसे कर सकता है?

अपना उत्तर ईमेल करें: hindi.sda@gmail.com

(कृपया पाठ संख्या, मूल प्रश्न और भगवद गीता अध्याय और श्लोक संख्या को अपने उत्तर के साथ अवश्य शामिल करें)