ऐसे कई व्यक्ति हैं जो इस ब्रह्मांड में क्या हो रहा है, इसके बारे में तथ्यात्मक ज्ञान होने का दावा करते हैं और साथ ही पुरुषोत्तम भगवान, कृष्ण का तिरस्कार करते हैं कि भगवान का अस्तित्व नहीं है। अगर वे हमारे अस्तित्व की नींव को ही नहीं समझते हैं, तो उन्हें किसी भी चीज़ की सही समझ कैसे हो सकती है? ऐसा संभव नहीं है। लेकिन फिर भी उन्हें महान, विद्वान व्यक्तियों के रूप में स्वीकार किया जाता है। अज्ञान के घोर अन्धकार में स्थित होते हुए भी उन्हें बड़ी-बड़ी उपाधियाँ दी जाती हैं और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। वे जो सिखाते हैं वह अज्ञान है। वह विज्ञान नहीं है। ज्ञान की संस्कृति के संबंध में यह असमानता मानव समाज पर भारी तबाही मचा रही है। जब हम अस्तित्व की नींव को समझने वाले व्यक्तियों से अपनी शिक्षा ग्रहण करेंगे तभी मानव समाज शांतिपूर्ण और सुखी बनेगा।
इस सप्ताह के लिए कार्य
भगवद-गीता यथा रूप अध्याय 9, श्लोक 12 को ध्यान से पढ़ें और इस प्रश्न का उत्तर दें:
किसी प्रबुद्ध स्रोत से अपना ज्ञान प्राप्त करना क्यों महत्वपूर्ण है?
अपना उत्तर ईमेल करें: hindi.sda@gmail.com
(कृपया पाठ संख्या, मूल प्रश्न और भगवद गीता अध्याय और श्लोक संख्या को अपने उत्तर के साथ अवश्य शामिल करें)