भगवद-गीता हमें सिखाती है कि मृत्यु के समय भगवान के बारे में कैसे सोचें और इस तरह उनके राज्य में प्रवेश करें। इससे बढकर और क्या हो सकता है? क्या आप केवल पैसे के बारे में सोच सकते हैं और अमीर बन सकते हैं? या क्या आप केवल राष्ट्रपति बनने के बारे में सोचने से ही तुरंत निर्वाचित हो सकते हैं? नहीं, ये चीजें इतनी आसानी से नहीं होती हैं। लेकिन फिर भी, सबसे सर्वोच्च उपलब्धि, अर्थात् भगवत् धाम वापस जाना, मृत्यु के समय केवल कृष्ण के बारे में सोचकर आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन दुर्भाग्य से अज्ञानता और अति उलझी हुई भौतिक आसक्तियों के कारण व्यावहारिक रूप से कोई भी इस सर्वोच्च वरदान का लाभ नहीं उठाता है। तो क्या आप मृत्यु के समय जानवरों के साम्राज्य में उतर रहे लोगों या इस भौतिक दुनिया में पीड़ा जारी रखने के लिए मानव जन्म प्राप्त करने वाले बहुत पवित्र लोगों का अनुसरण करना चाहते हैं? या आप बाक़ी लोगों से हट कर, मृत्यु के समय कृष्ण पर अपना ध्यान केंद्रित करके मृत्यु-रहित, सर्व-सुखद संसार में प्रवेश करना चाहेंगे? चुनना आपको है।
इस सप्ताह के लिए कार्य
भगवद-गीता यथा रूप अध्याय 8, श्लोक 13 को ध्यान से पढ़ें और इस प्रश्न का उत्तर दें:
हरे कृष्ण जप ओम् के जाप से बेहतर क्यों है?
अपना उत्तर ईमेल करें: hindi.sda@gmail.com
(कृपया पाठ संख्या, मूल प्रश्न और भगवद गीता अध्याय और श्लोक संख्या को अपने उत्तर के साथ अवश्य शामिल करें)