हर क्षण हम उस मानसिकता को आकार दे रहे हैं और ढाल रहे हैं जो मृत्यु के समय होगी। जितना अधिक हम प्रत्येक क्षण कृष्ण के साथ अपने आप को मजबूती से जोड़ते हैं, उतनी ही अधिक संभावना है कि हम मृत्यु के समय कृष्ण को याद करेंगे। इसलिए हमें अपने सभी विचारों को शुद्ध रखने के लिए बहुत सावधान रहना चाहिए। अगर हमें पता चलता है कि हमारा दिमाग अशुद्ध सोच में चला गया है, तो हमें खुद को कृष्ण की शिक्षाओं याद दिलानी चाहिए और अपने दिमाग को कृष्णभावनामृत की शुद्ध स्थिति में लाना चाहिए। काम, लोभ, क्रोध, पागलपन, भ्रम या ईर्ष्या को अपनी चेतना पर हावी न होने दें। कृष्ण के साथ सदा पवित्र रहो।
इस सप्ताह के लिए कार्य
भगवद-गीता यथा रूप अध्याय 8, श्लोक 6 को ध्यान से पढ़ें और इस प्रश्न का उत्तर दें:
मृत्यु के समय कृष्ण को याद करना नितांत अनिवार्य क्यों है?
अपना उत्तर ईमेल करें: hindi.sda@gmail.com
(कृपया पाठ संख्या, मूल प्रश्न और भगवद गीता अध्याय और श्लोक संख्या को अपने उत्तर के साथ अवश्य शामिल करें)