चूँकि कृष्ण का भक्त पूर्ण रूप से उनके प्रति समर्पित है, कृष्ण भी पूर्ण रूप से अपने भक्त के प्रति समर्पित हैं। ऐसा कोई प्रेम संबंध नहीं है जो कृष्ण और उनके भक्त के बीच अनुभव किए गए रिश्ते में पाई गई मिठास और परमानंद से तुलना कर पाए। कृष्ण के लिए भक्त के इस गहन प्रेम में, कृष्ण अपने भक्त के निजी सम्पत्ति बन जाते हैं। कृष्ण और उनके भक्त के बीच मधुरता की तीव्रता की कोई कल्पना नहीं कर सकता। प्रेम के इन आदान-प्रदान की गहराई को केवल भक्त ही पूरी तरह से समझ सकता है। प्रत्येक जीवित प्राणी भगवान का प्रिय बच्चा है और भगवान के साथ घनिष्ठ प्रेमपूर्ण संबंध के लिए पूर्ण समान पहुंच रखता है। परम भगवान के साथ अपने खोए हुए रिश्ते को पुनर्जीवित करने के लिए बस कृष्ण के भक्त की दया का आशीर्वाद प्राप्त करने की अव्यशक्ता है। इसलिए कृष्ण के भक्त के चरण कमलों में स्वयं को पूर्ण समर्पण से अधिक महत्वपूर्ण कुछ नहीं है।
इस सप्ताह के लिए कार्य
भगवद-गीता यथा रूप अध्याय 7, श्लोक 18 को ध्यान से पढ़ें और इस प्रश्न का उत्तर दें:
भक्त कृष्ण को सबसे प्रिय क्यू हैं?
अपना उत्तर ईमेल करें: hindi.sda@gmail.com
(कृपया पाठ संख्या, मूल प्रश्न और भगवद गीता अध्याय और श्लोक संख्या को अपने उत्तर के साथ अवश्य शामिल करें)