इस भौतिक संसार में हम दुख में डूब रहें हैं क्यूँकि हम जन्म और मृत्यु के सागर की लहरों में लगातार फेंके जा रहे हैं। इस जगह पर खुश और सफल होने की कोशिश करना एक वास्तविक संघर्ष है, जिसे हमें अनिवार्य रूप से हारना ही होगा। लाखों और अरबों मनुष्यों में से, जो एक शुद्ध भक्त की संगति पाने और उसकी संगति का पूरा लाभ उठाने के लिए भाग्यशाली हैं, वे भौतिक अस्तित्व के बंधन से बच सकते हैं और कृष्णलोक के उदात्त क्षेत्र में प्रवेश कर सकते हैं, जहां भगवान और उनके भक्त शाश्वत, मधुर, प्रेममय लीलाओं का आनंद लेते हैं।
इस सप्ताह के लिए कार्य
भगवद-गीता यथा रूप अध्याय 7, श्लोक 16 को ध्यान से पढ़ें और इस प्रश्न का उत्तर दें:
कृष्णभावनामृत की प्रक्रिया में शुद्ध भक्तों की संगति क्यों आवश्यक है?
अपना उत्तर ईमेल करें: hindi.sda@gmail.com
(कृपया पाठ संख्या, मूल प्रश्न और भगवद गीता अध्याय और श्लोक संख्या को अपने उत्तर के साथ अवश्य शामिल करें)