कृष्ण अद्भुत हैं। भले ही सब कुछ उनसे उत्पन है, वह किसी भी तरह से किसी भी चीज से प्रभावित नहीं होते है। वास्तव में यह ठीक इसके विपरीत है। किसी भी चीज़ से प्रभावित होने के बजाय, यह वह है जो बाकी सब चीजों को प्रभावित करता है। उसकी इच्छा, उसकी स्वीकृति के बिना कुछ भी नहीं हो सकता। वह सर्वोच्च प्रधान, परम भोक्ता और सभी के सबसे अच्छा मित्र हैं। जो व्यक्ति इसे समझता है और कृष्ण के साथ पूर्ण सामंजस्य में अपना जीवन व्यतीत करता है, वह इस भौतिक संसार में रहते हुए भी पूरी तरह से मुक्त आत्मा है। ऐसा करने की प्रक्रिया को कृष्णभावनामृत कहा जाता है और यह ब्रह्मांड के इतिहास के सभी महानतम व्यक्तित्वों का आनंदमय लीला है।
इस सप्ताह के लिए कार्य
भगवद-गीता यथा रूप अध्याय 7, श्लोक 12 को ध्यान से पढ़ें और इस प्रश्न का उत्तर दें:
अपने दृष्टिकोण से कृष्ण के अद्भुत गुणों की व्याख्या करें।
अपना उत्तर ईमेल करें: hindi.sda@gmail.com
(कृपया पाठ संख्या, मूल प्रश्न और भगवद गीता अध्याय और श्लोक संख्या को अपने उत्तर के साथ अवश्य शामिल करें)