पाठ 160: भक्ति सेवा का परिणाम कभी नहीं खोता

भौतिक जीवन में यदि कोई लक्ष्य तक पहुँचने का प्रयास करता है और वह सफल नहीं होता है, तो वह कहीं नहीं है। जैसे अगर कोई राजनीतिक पद के लिए खड़ा होता है और हार जाता है, तो सरकार में उसका कोई पद नहीं होता है। इसलिए कोई सोच सकता है कि अगर वह आध्यात्मिक जीवन में सफल होने का प्रयास करता है और वह ऐसा नहीं कर पाता है, “क्या सब कुछ खो गया है?”। इसका उत्तर है कि कोई खाता नहीं है। यदि कोई कृष्णभावनामृत में शत-प्रतिशत सफल न भी हो, तो भी उसने इस जन्म में कृष्णभावनामृत में जो भी सफलता प्राप्त कि है, वह उसकी शाश्वत संपत्ति के रूप में उसके साथ रहेगा। यदि वह इस जीवन में एक प्रतिशत कृष्णभावनामृत तक पहुँच जाता है, तो वह अपने अगले जीवन में इस एक प्रतिशत को रखेगा और फिर आगे बढ़कर दो प्रतिशत, तीन प्रतिशत आदि तक बढ़ सकता है। जबकि एक करोड़पति अपना अगला जीवन कंगाल के रूप में शुरू करता है, क्योंकि भक्त जो भी प्रगति करता है वह उसकी शाश्वत संपत्ति है।

इस सप्ताह के लिए कार्य

भगवद-गीता यथा रूप अध्याय 6, श्लोक 38 को ध्यान से पढ़ें और इस प्रश्न का उत्तर दें:
भौतिक उन्नति की अपेक्षा आध्यात्मिक उन्नति किस प्रकार अधिक लाभदायक है?

अपना उत्तर ईमेल करें: hindi.sda@gmail.com

(कृपया पाठ संख्या, मूल प्रश्न और भगवद गीता अध्याय और श्लोक संख्या को अपने उत्तर के साथ अवश्य शामिल करें)