पाठ 133: परमात्मा से मिलना

एक भयावह आत्मा बनकर इस भौतिक दुनिया में खोया रहने का कोई कारण नहीं है जब सर्वोच्च भगवान आपके हृदय में परमात्मा रूप में स्थित हैं। यह परमात्मा आपके इस भौतिक जगत में अनगिनत जन्मो में आपके साथ रहें है, उस समाए का इंतज़ार करते हुए जब आप निर्णय लेंगे के बस अब बहुत हो गया यह भौतिक अस्तित्व और इसलिए अब उस आध्यात्मिक आकाश में कृष्ण की लीलाओं में अपने मूल स्वरूप में वापस जाना है।

आपको परमात्मा के साथ फिर से जुड़ने के लिए केवल अपने मन का आज्ञा पालन रोकना है और इसके बजाय परमात्मा के बाह्य प्रकटीकरण, गुरु का आश्रय लेना है, उनको सुनकर, उनकी सेवा करके और उनकी आज्ञा का पालन करके। इस तरह, शुद्धिकरण की एक क्रमिक प्रक्रिया के माध्यम से, आप धीरे-धीरे उस स्तर पर पहुँच जायेंगे जहाँ आप हर पल परमात्मा के निर्देशों को स्पष्ट रूप से सुन सकते हैं।

इस सप्ताह के लिए कार्य

भगवद-गीता यथा रूप अध्याय 6, श्लोक 6 को ध्यान से पढ़ें और इस प्रश्न का उत्तर दें:
मन को जीतना कैसे किसी को परमात्मा से मिलने में सक्षम बनाता है?

अपना उत्तर ईमेल करें: hindi.sda@gmail.com

(कृपया पाठ संख्या, मूल प्रश्न और भगवद गीता अध्याय और श्लोक संख्या को अपने उत्तर के साथ अवश्य शामिल करें)