पाठ 126: क्या मुझे अष्टांग योग या भक्ति योग का अभ्यास करना चाहिए?

आजकल योग पूरी दुनिया में बहुत लोकप्रिय है। योग स्टूडियो हर जगह फ़ैल रहे हैं, उनमें से कई अपने स्टूडियो में शामिल होने के लिए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए नए मनगढ़ंत प्रकार के योग प्रदान करते हैं। यद्यपि इन स्टूडियो में सिखाई गई योगाभ्यास निश्चित रूप से स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं, लेकिन इस तरह के योग अभ्यास से लोग आत्म-साक्षात्कार के मंच पर नहीं आएँगे क्योंकि वे वेदों में वर्णित पूर्ण योग प्रणाली को प्रस्तुत नहीं कर रहे हैं। वास्तविक योग प्रणाली जो किसी को आत्म-साक्षात्कार की पूर्णता में ला सकती है वह है अधिकृत अष्टांग योग प्रणाली। इस प्रणाली के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति भौतिक समाज से पूरी तरह से दूर हो जाए और जीवन भर अकेले रहें और कोई भौतिक सुविधा का प्रयोग ना करें। व्यक्ति को अपने पूरे जीवन में जागते हुए अभ्यास करना चाहिए
बैठने की मुद्राओं का और अंदर ली जाने वाली और बाहर छोड़ने वाली सांसों को एक-दूसरे में कैसे इस प्रकार विलय करें के अंत में सास ही ना ली जाए। योगी जंगल में उगने वाली जड़ों और फलों को खाकर और एक पेड़ के नीचे या गुफा में सो कर जीवित रहता है। एक सेल फोन, एक लैपटॉप कंप्यूटर, एक क्रेडिट कार्ड, नकदी, नाखून कतरनी, या एक दाँत ब्रश साथ लाने का कोई सवाल ही नहीं है। बस केवल प्राकृतिक तत्वों और कोई भौतिक सुविधाओं के बिना, अकेला केवल योगी है। अगर कोई बाघ आजाए, तो भी उसे बहादुरी से बैठना चाहिए और भागना नहीं चाहिए।

तो आजकल ऐसी तपस्या कौन कर सकता है? और कुछ जो इस तरह की तपस्या का अभ्यास कर सकते हैं, उन्हें कई कई जन्म लग जाएँगे, सर्वोच्च प्रभु के साथ अपने खोए हुए रिश्ते को पुनर्जीवित करने की सिद्धि प्राप्त करने में। इसलिए इस युग में जब हमारा जीवनकाल छोटा है, भगवान श्रीकृष्ण ने हमें भक्ति योग प्रणाली का अभ्यास करने की सलाह दी है। यह प्रणाली विशेष रूप से इस आधुनिक युग के लिए अत्यधिक व्यावहारिक है। आप इसका अच्छी तरह से अभ्यास अपने सामान्य व्यावसायिक और पारिवारिक कर्तव्यों में संलग्न रहते हुए भी कर सकते है। बस, भगवान के पवित्र नामों का जप करना चाहिए, पापमय जीवन त्यागना चाहिए, और भगवान की सेवा में सभी कार्यों करने चाहिए। इस तरह भक्ति योगी जल्दी से समाधि को प्राप्त करता है, हर मिनट पर परम प्रभु के साथ पूरी तरह से सामंजस्य स्थापित करने की परमानंदक समाधि।

इस सप्ताह के लिए कार्य

भगवद-गीता यथा रूप अध्याय 5, श्लोक 27-28 को ध्यान से पढ़ें और इस प्रश्न का उत्तर दें:

जो भक्ति योग में नहीं जाना चाहता है, उसके लिए क्या अष्टांग योग एक व्यावहारिक विकल्प है?

अपना उत्तर ईमेल करें: hindi.sda@gmail.com

(कृपया पाठ संख्या, मूल प्रश्न और भगवद गीता अध्याय और श्लोक संख्या को अपने उत्तर के साथ अवश्य शामिल करें)