पाठ 125: सभी भौतिक कष्टों से मुक्त

भौतिक दुखों के वेदना से मुक्त होना कौन नहीं चाहेगा? कोई भी नहीं। लेकिन मुश्किल यह है कि हर कोई गलत तरीके से राहत पाने की कोशिश कर रहा है क्योंकि कोई भी राहत पाने के वास्तविक तरीके को नहीं जानता है। हर कोई पागलों की तरह इंद्रिय तृप्ति के पीछे भाग रहें है यह सोच कर के इससे संतुष्टि प्राप्त होगी। लेकिन यह सच्चाई से परे है। वास्तव में, वे जितना अधिक अपनी इंद्रियों को कृतार्थ करते हैं, उतना ही वे दुखी होते जाते हैं।

तो इसके बारे में क्या किया जा सकता है?

जरूरत इस बात की है कि इस राहत को पाने के लिए सभी को तथ्यात्मक प्रणाली में शिक्षित किया जाए। जब ऐसा होगा तो पूरी दुनिया आश्चर्यजनक रूप से परिवर्तित हो जाएगी। यह पृथ्वी पर परमेश्वर के राज्य जैसा होगा। अच्छी खबर यह है कि यह राहत प्रणाली पूरे समाज के लिए आसानी से उपलब्ध है ताकि सभी दुखों से मुक्ति प्राप्त कर सकें। यदि लोग बस भगवद-गीता यथा रूप का अध्ययन करेंगे और इसके निर्देशों का सावधानीपूर्वक पालन करें, तो वे उस चेतना की अवस्था को प्राप्त करेंगे जिसे कृष्णभावनामृत के रूप में जाना जाता है, जो सभी दुखों से परे है। यह प्रणाली सिखाती कि आपको अपने खोए हुए वास्तविक प्रेम संबंधों को पुनर्जीवित करना होगा, जो कि प्रामाणिक गुरु के मार्गदर्शन में उस सर्वोच्च व्यक्ति के प्रति भक्तिपूर्ण सेवा के माध्यम से हो सकता है।

इस सप्ताह के लिए कार्य

भगवद-गीता यथा रूप अध्याय 5, श्लोक 26 को ध्यान से पढ़ें और इस प्रश्न का उत्तर दें:

कृष्णभावनामृत सभी दुखों से कैसे मुक्त करती है?

अपना उत्तर ईमेल करें: hindi.sda@gmail.com

(कृपया पाठ संख्या, मूल प्रश्न और भगवद गीता अध्याय और श्लोक संख्या को अपने उत्तर के साथ अवश्य शामिल करें)