हम अब एक ऐसे समाज में रहते हैं, जहाँ हम नियमित रूप से देख सकते हैं कि दुनिया भर में कष्ट अपने बदसूरत चेहरा ले कर पूरे दुनिया में प्रबल हो रहा है। हालात बेहतर नहीं हो रहे हैं। वास्तव में वे उत्तरोत्तर बदतर होते जा रहे हैं। और इस बीच बेकार सरकार के नेता असहाय हैं कि इन कष्टों को कैसे रोका जाए, जिसके लिए उन्होंने इतने लुभावने वादे किए थे। यह रहस्य इस तथ्य के कारण अधिक से अधिक प्रकट हो रहा है कि हम भगवान के नियमों के अनुरूप नहीं रह रहे हैं। दरअसल हम किताब में लिखे हर कानून का व्यावहारिक रूप से उल्लंघन कर रहे हैं। तो दुख के इस हिमस्खलन को नष्ट करने का सरल समाधान है, अपने अस्तित्व के स्रोत, सर्वोच्च व्यक्तित्व के साथ खुद को फिर से जोड़ना। समस्याओं को हल करने के अन्य सभी प्रयास केवल रोगसूचक स्तर पर काम कर रहे हैं और इसलिए केवल अस्थायी राहत ला सकते हैं और स्थायी राहत प्रदान करने की कोई उम्मीद नहीं है। इसलिए कृष्णभावनामृत आंदोलन पीड़ित वैश्विक सभ्यता पर सर्वोच्च प्रभु का सबसे बड़ा आशीर्वाद है, और जो लोग इस आंदोलन में खुद को पूरी तरह से समर्पित करते हैं, वे सबसे बड़े कल्याणकारी कार्यकर्ता हैं क्यूँकि वे इस ग्रह पर पीड़ित आत्माओं को दुख से राहत दिलाने के लिए कार्य करते है।
इस सप्ताह के लिए कार्य
भगवद-गीता यथा रूप अध्याय 5, श्लोक 25 को ध्यान से पढ़ें और इस प्रश्न का उत्तर दें:
कृष्णभावनामृत का वितरण करना क्यों सभी प्रकार के कल्याणकारी कार्य के सूची में सबसे ऊपर है?
अपना उत्तर ईमेल करें: hindi.sda@gmail.com
(कृपया पाठ संख्या, मूल प्रश्न और भगवद गीता अध्याय और श्लोक संख्या को अपने उत्तर के साथ अवश्य शामिल करें)