इस वक्त मानव समाज में सबको समान दर्जा और अधिकार देने पर बहुत ज़ोर है। लेकिन साथ ही हम देखते हैं कि गायों को और गर्भ में अजन्मे बच्चों को समान अधिकार नहीं दिए जा रहा हैं। जैसे ही कोई बच्चा गर्भ से बाहर आता है, जो उसे कष्ट देता है, उसे सबसे बड़ा अपराधी माना जाता है। लेकिन एक दिन पहले जब वह गर्भ में था, उसी बच्चे की हत्या करने पर उसके हत्यारे को कोई सजा नहीं होती। यह किस प्रकार की समानता है? उसे गर्भ के भीतर और गर्भ के बाहर दोनों समय समान अधिकार मिलना चाहिए। क्योंकि भौतिक समाज भौतिक मंच पर समान अधिकारों की नीति स्थापित करने का प्रयास कर रहा है, जिस पर कोई भी समान नहीं है, वह ऐसा करने में कभी सफल नहीं होंगे। वास्तविक समानता लाने का एकमात्र तरीका आध्यात्मिक मंच पर है, यह समझकर है कि सभी जीवित प्राणी सर्वोच्च व्यक्ति के अंश हैं। यह आध्यात्मिक मंच पर है कि वास्तविक समानता मौजूद है, भौतिक मंच पर नहीं। जो लोग वैदिक ज्ञान में ज्ञानी हैं वे आध्यात्मिक मंच पर सभी जीवित प्राणियों की वास्तविक समानता को देखते हैं और इसलिए जानते हैं कि सभी को सही और प्रेमपूर्ण व्यवहार कैसे करना है।
इस सप्ताह के लिए कार्य
भगवद-गीता यथा रूप अध्याय 5, श्लोक 18 को ध्यान से पढ़ें और इस प्रश्न का उत्तर दें:
भौतिक मंच पर वास्तविक समानता स्थापित करने के सभी प्रयास विफल क्यों हो जाते हैं?
अपना उत्तर ईमेल करें: hindi.sda@gmail.com
(कृपया पाठ संख्या, मूल प्रश्न और भगवद गीता अध्याय और श्लोक संख्या को अपने उत्तर के साथ अवश्य शामिल करें)